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kya safal hota hai vivah kundli milan se

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  भारतीय संस्कृति में विवाह केवल दो व्यक्तियों का मिलन नहीं, बल्कि दो परिवारों का भी संगम होता है। इसे एक महत्वपूर्ण संस्कार माना जाता है, जिसमें कुंडली मिलान की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। कई लोग यह जानना चाहते हैं कि क्या कुंडली मिलान से विवाह सफल होता है? आइए इस विषय को विस्तार से समझते हैं। कुंडली मिलान क्या है? कुंडली मिलान एक वैदिक ज्योतिषीय प्रक्रिया है जिसमें वर और वधू की जन्म कुंडलियों का अध्ययन किया जाता है। इसमें दोनों की ग्रह स्थिति, नक्षत्र और अन्य ज्योतिषीय पहलुओं का विश्लेषण किया जाता है ताकि यह देखा जा सके कि विवाह के बाद उनका दांपत्य जीवन कैसा रहेगा । शादी की कुंडली मिलाना एक प्राचीन परंपरा है, जिसका उद्देश्य जीवनसाथी के साथ सामंजस्य और सुखद वैवाहिक जीवन सुनिश्चित करना है। शादी से पहले कुंडली क्यों मिलाते हैं? शादी से पहले कुंडली मिलाने का मुख्य उद्देश्य यह जानना होता है कि दंपति का आपसी तालमेल कैसा रहेगा। यह प्रक्रिया कई महत्वपूर्ण पहलुओं को उजागर करती है: सामंजस्य और अनुकूलता (Guna Milan)  — वर और वधू के बीच मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक अन...

Can We Match Kundali Without Time?

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  In astrology of India, Kundali (Horoscope) matching is an essential element in a marriage. It is a practice wherein the two partners’ Kundalis are studied to predict the likelihood of being compatible and having a harmonious relationship. Although the Kundali matching is typically carried out using the exact birth time, many ask if matching Kundali without time is possible. Let us discuss this question, learn how it impacts the process, and talk about the most important aspects of Kundali matching for marriage . What is Kundali Matching? Kundali matching, or Horoscope Matching or Guna Milan, is the comparison of the Kundalis of two people to assess their marriage compatibility. This is one of the oldest and most reliable processes in Vedic astrology. It is the comparison of several factors in the charts, including the positions of planets, moon signs, and certain points that are said to influence marital life. In a standard Kundali matching process, astrologers employ the kundli ...

जन्म तिथि के आधार पर मेरी विवाह अनुकूलता क्या है?

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  विवाह भारतीय परंपरा में सिर्फ एक सामाजिक अनुबंध नहीं है; यह दो आत्माओं और परिवारों का गहरा संबंध है। इसे सफल और सुखमय बनाने के लिए ज्योतिष का सहारा लिया जाता है। जन्म तिथि के आधार पर कुंडली मिलान और विवाह अनुकूलता का अध्ययन करना न केवल एक प्राचीन परंपरा है, बल्कि यह वैवाहिक जीवन में स्थिरता और सामंजस्य लाने का एक प्रभावी तरीका भी है। इस लेख में, हम जन्म तिथि के आधार पर विवाह अनुकूलता, विवाह के समय, प्रेम विवाह की संभावनाएं, और विवाह के बाद स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं की भविष्यवाणी के विषय में विस्तार से जानेंगे। विवाह अनुकूलता का महत्व विवाह अनुकूलता का मतलब है दो व्यक्तियों के बीच मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक संतुलन। यदि कुंडली मिलान / Kundali Matching सही तरीके से किया जाए, तो यह भविष्य के संघर्षों को कम कर सकता है और दांपत्य जीवन को सुखमय बना सकता है। कुंडली मिलान में जन्म तिथि का महत्वपूर्ण योगदान होता है। ज्योतिषीय दृष्टिकोण से, जन्म तिथि से प्राप्त कुंडली के आधार पर यह समझा जा सकता है कि आप और आपका साथी एक–दूसरे के लिए कितने उपयुक्त हैं। कुंडली मिलान में 36 गुणों का मिलान...

सफल विवाह के लिए कितने गुण मिलान की आवश्यकता है?

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  भारतीय वैदिक ज्योतिष में विवाह के लिए कुंडली मिलान की प्रक्रिया को अत्यधिक महत्व दिया जाता है। यह प्रक्रिया वर और वधू की कुंडलियों के आधार पर उनकी संगति, वैवाहिक जीवन की सफलता, और पारिवारिक सामंजस्य का विश्लेषण करती है। इसमें कुल 36 गुण होते हैं, जिनका विवाह के लिए कुंडली मिलान किया जाता है। लेकिन सवाल यह है कि सफल विवाह के लिए कितने गुणों का मिलान होना आवश्यक है? आइए इसे ज्योतिषीय दृष्टिकोण से समझते हैं। गुण मिलान: क्या है इसका महत्व? गुण मिलान को “ अष्टकूट मिलान ” कहा जाता है, जो वर और वधू की जन्म कुंडली के आठ अलग–अलग पहलुओं का विश्लेषण करता है। ये पहलू हैं: 1. वर्ण (1 गुण): मानसिक संगति का विश्लेषण। 2. वश्य (2 गुण): एक–दूसरे पर प्रभाव डालने की क्षमता। 3. तारा (3 गुण): स्वास्थ्य और समृद्धि की अनुकूलता। 4. योनि (4 गुण): शारीरिक और मानसिक संगति। 5. ग्रह मैत्री (5 गुण): ग्रहों की आपसी अनुकूलता। 6. गण (6 गुण): स्वभाव और व्यक्तित्व की समानता। 7. भकूट (7 गुण): वैवाहिक समृद्धि और पारिवारिक जीवन। 8. नाड़ी (8 गुण): स्वास्थ्य और संतान से जुड़ी अनुकूलता। सफल विवाह के लिए क...

11 या 12 नवंबर, देवउठनी एकादशी कब है?

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  भारत में कार्तिक मास का विशेष महत्व है, और इसी मास में देवउठनी एकादशी का पर्व बड़ी श्रद्धा और भक्ति से मनाया जाता है। इसे देवप्रबोधिनी एकादशी या प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है। यह दिन विष्णु भगवान के चार महीने की योग निद्रा के बाद जागने का प्रतीक है। इस अवसर पर लोग विवाह, गृह प्रवेश, व्रत, और विभिन्न शुभ कार्यों की शुरुआत करते हैं। लेकिन इस वर्ष देवउठनी एकादशी की तिथि को लेकर कुछ असमंजस है। कई लोगों के मन में यह सवाल है कि देवउठनी एकादशी 2024 में 11 नवंबर को मनाई जाएगी या 12 नवंबर को? आइए, इस पर विस्तार से चर्चा करें और इसके शुभ मुहूर्त के बारे में जानकारी प्राप्त करें। देवउठनी एकादशी का महत्व देवउठनी एकादशी का महत्व धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से बहुत अधिक है। यह दिन उस समय को दर्शाता है जब भगवान विष्णु चातुर्मास की नींद से जागते हैं और इस दिन से सभी मांगलिक कार्य जैसे विवाह, यज्ञोपवीत, गृह प्रवेश और अन्य शुभ कार्यों की अनुमति प्राप्त होती है। हिंदू धर्म में इसे अत्यंत पवित्र माना गया है, और लोग इस दिन व्रत, पूजा और धार्मिक अनुष्ठान करते हैं। देवउठनी एकादशी 2024: 11 या 12 नवं...

कुंडली से कैसे जानें, किस उम्र में होगी आपकी शादी और कैसा होगा जीवनसाथी?

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शादी कब होगी इस प्रश्न का उत्तर ज्योतिष की सहायता से आसानी से जाना जा सकता है। ज्योतिष शास्त्र अनुसार व्यक्ति के जीवन में होने वाली प्रत्येक घटना का संबंध ग्रह नक्षत्रों के प्रभाव एवं कर्मों की अवधारणा द्वारा ही संभव होती है। शादी विवाह से जुड़े प्रश्नों को जन्म कुंडली अनुसार समझा जा सकता है जिसमें कुंडली के कुछ विशेष भाव–ग्रह अपनी अग्रीण भूमिका में होते हैं। किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में सातवां भाव व्यक्ति के वैवाहिक जीवन से संबंधित सुखों को बताता है। कुंडली में विवाह संबंधित भाव ग्रहों का विश्लेषण करके, ग्रह एवं दशा गोचर की स्थिति को देख कर शादी की उम्र के बारे में तो जान सकते ही हैं और साथ ही आपका जीवन साथी कैसे गुणों वाला होगा इन बातों को भी आसानी से जाना जा सकता है। और इस भाव को दारा भाव भी कहा जाता है अर्थात जीवनसाथी का भाव और इस भाव की शुभता अशुभता का प्रभाव विवाह के बारे में जानकारी देने वाला होता है। कुछ विद्वान शादी के बारे में जानकारी के लिए सातवें भाव का विश्लेषण करते हैं जो उचित है लेकिन इस भाव को ही निर्णय के लिए मुख्य मान लेना उचित नहीं होगा। विवाह के लिए सातवां भाव, प...

अगर मैं कुंडली मिलाए बिना शादी करूँ तो क्या मेरी शादी सफल होगी?

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  आजकल जब कुंडली मिलान जैसी तकनीक सबके लिए उपलब्ध है तो मन में ये प्रश्न भी आना स्वाभाविक है कि अगर मैं कुंडली मिलाए बिना शादी करूँ तो क्या मेरी शादी सफल होगी ? तो इस प्रश्न का जवाब सिर्फ एक शब्द में नहीं कहा जा सकता है क्योंकि इस प्रश्न के भीतर कई उत्तर समाए हुए हैं जिसके लिए हर उत्तर पर ध्यान देने की आवश्यकता है। यह प्रश्न उसी प्रश्न की भांति है कि " सृष्टि को कौन चला रहा है " अब इस प्रश्न में एक उत्तर देने से सभी लोग संतुष्ट नहीं हो पाएंगे क्योंकि हर मार्ग से इसकी अनुभूति का स्वरूप अलग अलग होगा। इसी तरह से कुंडली मिलाए बिना भी लाखों शादियां हो रही हैं लेकिन जब बात आती है कुंडली मिलाने की तब स्थिति अलग असर दिखाती है और रिश्तों में जो विशेष सुख मिलता है वह और कहीं नहीं मिल पाता है। व्यक्ति को जीवन साथी के रूप में हर कदम पर साथ चलने वाला प्रीतम मिलता है। फिर चाहे प्रेम विवाह हो या फिर परिवार की सहमति से किया...