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कुंडली मिलान में नाड़ी दोष के प्रभाव और बचने के ज्योतिषी उपाय

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  भारतीय वैदिक ज्योतिष में कुंडली मिलान को विवाह से पहले एक आवश्यक प्रक्रिया माना जाता है। यह केवल लड़का और लड़की की जन्म राशियों का मिलान नहीं होता, बल्कि मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक सामंजस्य की भी जांच होती है। इसमें सबसे अहम विषयों में से एक है —  नाड़ी दोष (Nadi Dosha) । नाड़ी दोष को गंभीर माना जाता है क्योंकि यह वैवाहिक जीवन में स्वास्थ्य, संतान सुख, भावनात्मक तालमेल और दांपत्य शांति को प्रभावित कर सकता है। इस ब्लॉग में हम जानेंगे: · नाड़ी दोष क्या है? · नाड़ी दोष क्यों होता है? · इसके दुष्प्रभाव क्या हैं? · और इससे बचने के प्रभावी ज्योतिषीय उपाय क्या हैं। नाड़ी दोष क्या होता है? जन्म कुंडली में नाड़ी मिलान 8 गुणों में से एक है, जो दो व्यक्तियों के प्राकृतिक स्वभाव और शारीरिक संगति का प्रतिनिधित्व करता है। नाड़ी तीन प्रकार की होती है: 1. आदि नाड़ी 2. मध्य नाड़ी 3. अंत्य नाड़ी यदि वर और वधू की नाड़ी समान पाई जाती है (जैसे दोनों की आदि नाड़ी हो), तो नाड़ी दोष बनता है। नाड़ी दोष के प्रभाव अगर नाड़ी दोष अनदेखा कर दिया जाए, तो यह वैवाहिक जीवन में निम...