कुंडली में पितृ दोष को कैसे दूर करें

वेदिक ज्योतिष में पितृ दोष को बहुत गंभीर माना गया है। यह दोष तब बनता है जब जन्मकुंडली में सूर्य, चंद्र या राहु प्रभावित होते हैं या जब नवम भाव (पितरों का भाव) अशुभ ग्रहों से ग्रसित हो। पितृ दोष को अक्सर पूर्वजों के अधूरे कार्य, श्राद्ध संस्कारों की कमी, या पितरों की असंतुष्टि से जुड़ा माना जाता है। जिनकी कुंडली में पितृ दोष होता है, उन्हें जीवन में कई प्रकार की बाधाओं और कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। आज हम विस्तार से जानेंगे कि कुंडली में पितृ दोष को कैसे पहचाना और दूर किया जा सकता है। साथ ही, क्यों एक अनुभवी ज्योतिषाचार्य जैसे Dr. Vinay Bajrangi से परामर्श लेना ज़रूरी है। पितृ दोष क्या है? पितृ दोष/ pitra dosha को सरल भाषा में कहें तो यह पितरों के अधूरे कर्म या उनकी असंतुष्टि का प्रतीक है। इसका असर अक्सर इस प्रकार दिखता है: · विवाह में विलंब या दांपत्य जीवन की समस्या। · सं तान सुख में बाधा । · करियर और नौकरी में असफलता। · आर्थिक समस्याएँ और ऋण से मुक्ति न मिलना। · बार–बार स्वास्थ्य संबंधी परेशानी । कुंडली में पितृ दोष कैसे बनता है? 1. जब जन्मकुंडली ...