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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जानिए विवाह में देरी का कारण

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  विवाह हर व्यक्ति के जीवन का एक महत्वपूर्ण पड़ाव होता है। लेकिन कई बार मेहनत, शिक्षा या सामाजिक कारणों के बावजूद शादी में देरी होती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, विवाह में देरी के पीछे केवल सामाजिक या व्यक्तिगत कारण नहीं होते, बल्कि इसका संबंध व्यक्ति की कुंडली में ग्रहों की स्थिति और उनके प्रभाव से भी होता है। कुंडली में विवाह के योग और विलंब के संकेत किसी व्यक्ति की कुंडली में सप्तम भाव (7th House) विवाह का कारक होता है। यह भाव जीवनसाथी भविष्यवाणी , दांपत्य सुख और वैवाहिक स्थिरता से जुड़ा होता है। जब इस भाव पर अशुभ ग्रहों का प्रभाव पड़ता है या इसका स्वामी कमजोर होता है, तो विवाह में बाधा या देरी के योग बनते हैं। ज्योतिष में विवाह में देरी के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं: शनि (Saturn) का सप्तम भाव में होना या दृष्टि देना। राहु या केतु का सप्तम भाव या उसके स्वामी पर प्रभाव डालना। मंगल दोष (Mangal Dosha) का होना — विशेष रूप से लग्न, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम या द्वादश भाव में मंगल का स्थान। शुक्र (Venus) का कमजोर या नीच राशि में होना। सप्तम भाव का स्वामी यदि पाप ग्रहों के साथ...