ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जानिए विवाह में देरी का कारण
विवाह हर व्यक्ति के जीवन का एक महत्वपूर्ण पड़ाव होता है। लेकिन कई बार मेहनत, शिक्षा या सामाजिक कारणों के बावजूद शादी में देरी होती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, विवाह में देरी के पीछे केवल सामाजिक या व्यक्तिगत कारण नहीं होते, बल्कि इसका संबंध व्यक्ति की कुंडली में ग्रहों की स्थिति और उनके प्रभाव से भी होता है।
कुंडली में विवाह के योग और विलंब के संकेत
किसी व्यक्ति की कुंडली में सप्तम भाव (7th House) विवाह का कारक होता है। यह भाव जीवनसाथी भविष्यवाणी, दांपत्य सुख और वैवाहिक स्थिरता से जुड़ा होता है। जब इस भाव पर अशुभ ग्रहों का प्रभाव पड़ता है या इसका स्वामी कमजोर होता है, तो विवाह में बाधा या देरी के योग बनते हैं।
ज्योतिष में विवाह में देरी के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:
- शनि (Saturn) का सप्तम भाव में होना या दृष्टि देना।
 - राहु या केतु का सप्तम भाव या उसके स्वामी पर प्रभाव डालना।
 - मंगल दोष (Mangal Dosha) का होना — विशेष रूप से लग्न, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम या द्वादश भाव में मंगल का स्थान।
 - शुक्र (Venus) का कमजोर या नीच राशि में होना।
 - सप्तम भाव का स्वामी यदि पाप ग्रहों के साथ स्थित हो या छठे, आठवें या बारहवें भाव में चला गया हो।
 
इन संयोजनों से यह संकेत मिलता है कि व्यक्ति को जीवनसाथी मिलने में विलंब या बार–बार रुकावटें आ सकती हैं।
विवाह में देरी का वास्तविक कारण कैसे जानें?
केवल एक ग्रह देखकर निष्कर्ष निकालना सही नहीं है। हर कुंडली विशिष्ट होती है और सभी भाव एक–दूसरे से जुड़कर परिणाम देते हैं। उदाहरण के लिए:
- यदि शनि देरी करा रहा है लेकिन गुरु (Jupiter) शुभ दृष्टि दे रहा हो, तो विवाह विलंबित होकर भी स्थायी और सफल रहता है।
 - वहीं यदि मंगल दोष और शुक्र की कमजोरी दोनों साथ हों, तो न केवल देरी होती है बल्कि रिश्तों में अस्थिरता भी आ सकती है।
 
इसलिए Dr. Vinay Bajrangi जैसे अनुभवी ज्योतिषाचार्य से परामर्श लेकर कुंडली का गहन विश्लेषण करवाना आवश्यक है।
देर से विवाह होने के ग्रह–योग (Late Marriage Yog)
ज्योतिष शास्त्र में कुछ विशिष्ट योग विवाह में देरी के संकेत देते हैं:
- शनि का सप्तम भाव में होना: स्थिरता देता है लेकिन विवाह में देरी भी करता है।
 - सूर्य की दृष्टि सप्तम भाव पर: अहंकार या परिवारिक असहमति के कारण देरी।
 - मंगल–शुक्र का विपरीत संबंध: प्रेम जीवन में अस्थिरता और निर्णय में विलंब।
 - गुरु का नीच या शत्रु राशि में होना: विवाह प्रस्तावों में बाधा।
 - लग्नेश और सप्तमेश का संबंध न होना: विवाह के समय निर्धारण में देरी।
 
कुंडली में विवाह का समय कैसे ज्ञात करें?
विवाह का समय दशा–भुक्ति और गोचर से निर्धारित किया जा सकता है। जब गुरु, शुक्र या सप्तमेश की दशा चलती है और वे अनुकूल भावों में होते हैं, तो विवाह योग बनता है।
- यदि दशा शनि की हो, तो विवाह उम्र के बाद के वर्षों में होता है।
 - यदि शुक्र या गुरु की दशा हो, तो विवाह अपेक्षाकृत जल्दी हो सकता है।
 
Dr. Vinay Bajrangi इस समय–निर्धारण को “टाइमिंग ऑफ मैरिज/Know Timing of Marriage” विश्लेषण के माध्यम से सटीक रूप से बताते हैं, जिससे व्यक्ति विवाह की सही अवधि जान सके।
ज्योतिषीय उपाय जो विवाह में देरी को दूर करें
यदि कुंडली में देर से विवाह के योग हों, तो कुछ पारंपरिक उपाय ग्रहों को संतुलित करने में सहायक हो सकते हैं:
- मंगल दोष निवारण पूजा कराना।
 - शुक्र और गुरु को मजबूत करने के लिए उनके बीज मंत्रों का नियमित जाप।
 - शनि को शांत करने के लिए शनिवार उपवास या गरीबों को दान देना।
 - कन्या दान या गौ दान जैसे शुभ कर्मों में भाग लेना।
 - विवाह योग्य आयु में कुंडली मिलान (Match Making) करवाना ताकि सही जीवनसाथी का चयन हो सके।
 
इन उपायों से ग्रहों की नकारात्मकता कम होकर विवाह के मार्ग में तेजी आती है।
क्या प्रेम विवाह और देरी का संबंध है?
कई बार प्रेम विवाह के इच्छुक लोगों को भी देरी का सामना करना पड़ता है। यदि कुंडली में पंचम भाव (प्रेम का भाव) और सप्तम भाव (विवाह का भाव) के बीच अनुकूल संबंध नहीं हो, तो प्रेम विवाह में बाधा आती है।
हालांकि, यदि शुक्र और बुध मजबूत हों, तो प्रेम विवाह के योग बनते हैं, चाहे विलंब हो या सामाजिक विरोध।
Dr. Vinay Bajrangi का मत
Dr. Vinay Bajrangi के अनुसार, विवाह में देरी केवल ग्रहों की सजा नहीं है, बल्कि यह आत्मिक और कर्मिक कारणों से भी जुड़ी होती है।
कई बार ब्रह्मांड व्यक्ति को सही समय पर सही साथी से मिलवाने के लिए देरी करवाता है।
इसलिए ज्योतिष को डर का नहीं, बल्कि समय और परिस्थितियों को समझने का विज्ञान मानना चाहिए।
FAQ: लोग अक्सर पूछते हैं
Q1. क्या कुंडली से विवाह में देरी का कारण पता लगाया जा सकता है?
हाँ, सप्तम भाव, शुक्र, गुरु और दशा प्रणाली देखकर विवाह में देरी का कारण स्पष्ट रूप से समझा जा सकता है।
Q2. क्या मंगल दोष से विवाह में हमेशा देरी होती है?
जरूरी नहीं। यदि मंगल शुभ दृष्टि में हो या विवाह योग्य भावों से संबंध रखता हो, तो विवाह विलंबित होकर भी सफल रहता है।
Q3. देर से विवाह का सही उपाय क्या है?
कुंडली/kundali विश्लेषण के बाद उपयुक्त ग्रह–शांति पूजा, मंत्र जाप और दान ही सबसे प्रभावी उपाय होते हैं।
Q4. क्या कुंडली मिलान देर से विवाह वाले लोगों के लिए भी जरूरी है?
हाँ, क्योंकि कुंडली मिलान से ग्रहों के टकराव और वैवाहिक असंगति को पहले से समझा जा सकता है।
निष्कर्ष
विवाह में देरी केवल भाग्य का खेल नहीं है, यह ग्रहों, दशाओं और कर्म के संयोजन का परिणाम होता है।
यदि आप या आपके परिवार में किसी की शादी लंबे समय से टल रही है, तो ज्योतिषीय परामर्श लेना व्यावहारिक समाधान साबित हो सकता है।
Dr. Vinay Bajrangi की विशेषज्ञ सलाह से आप अपनी कुंडली का विश्लेषण करवा सकते हैं और विवाह योग के सही समय की जानकारी पा सकते हैं।
किसी भी विशिष्ट मुद्दे के लिए, मेरे कार्यालय @ +91 9999113366 से संपर्क करें। भगवान आपको एक खुशहाल जीवन आनंद प्रदान करें।
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Source: https://kundlihindi.com/blog/jane-vivah-me-deri-ka-karan/

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