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जानिए अपनी कुंडली से आपका जीवन काल कितना होगा।

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  वैदिक ज्योतिष में जन्म कुंडली का उपयोग व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण करने के लिए किया जाता है। कई लोग यह जानने के इच्छुक होते हैं कि क्या कुंडली के माध्यम से आयु का अनुमान लगाया जा सकता है। हालांकि, यह एक जटिल और संवेदनशील विषय है, जिसे समझने के लिए हमें कुंडली के विभिन्न घटकों और ज्योतिषीय सिद्धांतों का गहन अध्ययन करना होगा। कुंडली में आयु निर्धारण के प्रमुख घटक: 1. आठवां भाव (मृत्यु स्थान): कुंडली का आठवां भाव जीवन की लंबाई, मृत्यु के कारणों और रहस्यमय विषयों से संबंधित होता है। यदि इस भाव में कोई ग्रह स्थित नहीं है, तो इसे शुभ माना जाता है। शुभ ग्रहों की उपस्थिति जीवन की अवधि को बढ़ा सकती है, जबकि अशुभ ग्रह आयु में कमी का संकेत दे सकते हैं। विशेष रूप से, स्त्री की कुंडली में आठवें भाव में पाप ग्रह (अशुभ ग्रह) वैधव्य का संकेत दे सकते हैं। 2. आयुष्करक ग्रह (शनि): शनि ग्रह को आयु का कारक माना जाता है। शनि की स्थिति, उसकी दृष्टि, और अन्य ग्रहों के साथ उसकी युति का विश्लेषण करके आयु के बारे में अनुमान लगाया जाता है। यदि कुंडली में शनि सबसे शक्तिशाली ग्र...