अकाल मृत्यु: जानिए कैसे बनता है जन्मकुंडली में अकाल मृत्यु योग, ऐसे करें बचाव

अकाल मृत्यु यानी जीवन के स्वाभाविक समय से पहले मृत्यु — एक ऐसा विषय है जो हमेशा से ही चिंता और जिज्ञासा का कारण रहा है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में कुछ विशेष योग और ग्रहों की स्थिति इस प्रकार की संभावना को जन्म दे सकती है। हालाँकि, इसका मतलब यह नहीं कि इसे टाला नहीं जा सकता। Dr. Vinay Bajrangi जैसे विशेषज्ञों के अनुसार, समय रहते इसकी पहचान और उपाय करके इससे बचाव किया जा सकता है। क्या है अकाल मृत्यु योग? अकाल मृत्यु योग वह योग होता है जब जन्मकुंडली में कुछ ग्रहों की स्थिति, दृष्टि या दशा–पाठक से यह संकेत मिलता है कि जातक को अल्पायु , मध्यायु या अचानक मृत्यु का खतरा हो सकता है। यह योग न केवल मृत्यु का कारक होता है, बल्कि दुर्घटनाएं, बीमारियाँ और जीवन में अचानक संकट भी इससे जुड़े हो सकते हैं। कुंडली में कैसे बनता है अकाल मृत्यु योग? जन्मकुंडली में अकाल मृत्यु के योग तब बनते हैं जब निम्नलिखित स्थितियाँ पाई जाती हैं: 1. अष्टम भाव (मृत्यु भाव) में अशुभ ग्रह जैसे राहु, केतु, शनि, मंगल का प्रभाव। 2. लग्न और लग्नेश पर शनि, राहु ...