कुंडली कैसे बनती है और इसका जीवन पर क्या असर पड़ता है?

“ कुंडली ” ( या जन्मपत्रिका ) वेदिक ज्योतिष की मूल आधारशिला है — यह उस समय के ग्रह – नक्षत्रों की स्थिति का आकाशीय नक्शा है जब व्यक्ति आया था। जन्मपत्रिका के प्रमुख तत्व जन्म तिथि , जन्म समय और जन्म स्थान : ये तीनों कुंडली बनाने के लिए सबसे जरूरी डेटा हैं। समय व स्थान से ही लग्न (Ascendant) का राशि और ग्रहों की सटीक स्थिति निर्धारित होती है। लग्न (Lagna / Rising Sign) : कुंडली का पहला घर माना जाता है , यह व्यक्ति की बाहरी पहचान , शरीर और जीवन दृष्टिकोण को दर्शाता है। बारह ‘ भव ’ या घर (Houses) : प्रत्येक घर जीवन के एक विशिष्ट क्षेत्र को दर्शाता है — जैसे प्रथम घर “ स्व ”, सप्तम घर “ बंधन / विवाह ” और अष्टम घर “ परिवर्तन , अर्थवृत्ति , अनपेक्षित घटनाएँ ” आदि। नवग्रह (Navagraha) : सूर्य , चंद्र , मंगल , बुध , बृहस्पति , शुक्र , शनि , राहु और केतु — ये ग्रह – शक्तियाँ कुंडली में स्थित होती हैं , और प्रत्येक ग्रह अलग – अलग ऊर्जा और गुण प्रदान करता है। दशा प्रणाली (Dasha...