जन्म कुंडली से जानें कौन सा भाव देता है अल्पायु का संकेत?
ज्योतिष शास्त्र जीवन के हर पक्ष के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी देने का विशेष माध्यम है। ज्योतिष की मदद से हम जीवन से लेकर मृत्यु तक सभी बातों के बारे में पता लगा सकते हैं। कुंडली में ग्रहों की स्थिति, दशा और ग्रह चाल के कारण व्यक्ति के जीवन पर अनेक घटनाओं का असर पड़ता है। ग्रहों की चाल से ही पता चलता है कि जीवन की हर घटना पूर्व निर्धारित होती है और आपके पास जो जन्म कुंडली है, वह वास्तव में आपके कर्मों और आपके संपूर्ण जीवन का प्रमाण बनती है। जन्म कुंडली की स्थिति यह दर्शाती है कि आपके जन्म के समय ग्रह किस तरह से प्रभाव डाल रहे थे और कहां पर स्थित थे। अपने बारे में जब कोई सवाल करता है तो उसके पास कई तरह के प्रश्न होते हैं जिनमें से एक सामान्य प्रश्न जो लोग अक्सर पूछते हैं :
मेरी जन्म कुंडली में कौन सा भाव अल्पायु को दर्शाता है? What house in my birth chart shows a short life?
बहुत से लोग अपनी आयु के बारे में जानने के इच्छुक दिखाई देते हैं, लोग अक्सर अपने जीवन काल की स्थिति और समय को लेकर चिंतित रहते हैं। डॉ। विनय बजरंगी कहते हैं, कि इस तरह के प्रश्न या बातें विवाह ज्योतिष के क्षेत्र से संबंधित होते हैं। विवाह के लिए परामर्श लेते हुए लोग इस बारे में बहुत कुछ जानना चाहते हैं और यह सवाल कई मायनों में हर किसी को चिंता में डाल सकता है। इसलिए मृत्यु की संभावना कोई संयोग की बात नहीं है और इसे जन्म कुंडली के माध्यम से देखा जा सकता है। अनुभवी ज्योतिषी जन्म कुंडली में बने विभिन्न ज्योतिषीय योगों के माध्यम से जीवन काल की समय सीमा के बारे में आपको बता सकता है। longevity reading
आइए जन्म कुंडली में उन विशिष्ट भावों के बारे में जानने की कोशिश करते हैं जो लंबी आयु और अल्पायु के बारे में स्पष्ट रूप से संकेत देते हैं।
अष्टम भाव : बदलाव, विकास और अंत का भाव The Eighth House: The House of Endings, Evolutions, and Extensions
ज्योतिष के अनुसार आठवां भाव आयु का भाव कहलाता है। कुंडली के सभी भावों में से, आठवां भाव जीवन की अवधि समय सीमा के लिए विशेष माना गया है इसलिए आयु के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है। अष्टम भाव मृत्यु, अचानक होने वाली घटनाओं और बदलाव के भाव के रूप में माना जाता है। अष्टम भाव को यह जानकारी लेने के लिए भी देखा जाता है कि कोई कितने समय तक जीवित रहेगा, उसकी लंबी आयु है या नहीं। इसमें जीवन में घटने वाली विशेष घटनाओं जैसे खतना, प्रसव, या मृत्यु, पुनर्जन्म, साथ ही विरासत, मानसिक समस्याएं और परिवर्तन जैसे मामले शामिल होते हैं।
आठवें भाव में विभिन्न ग्रह एक व्यक्ति के संपूर्ण जीवन को प्रभावित कर सकते हैं। शनि को अष्टम भाव का करक ग्रह माना जाता है। शनि लंबी उम्र का संकेत देता है अगर यह मजबूत और अच्छे स्थान पर हो तो आयु में वृद्धि को दिखाता है। इसी तरह, अगर मंगल आठवें भाव में स्थित है, तो यह दुर्घटनाओं, चोटों और अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को जन्म दे सकता है, जो आयु को प्रभावित कर सकती हैं।
राहु और केतु: Rahu and Ketu: राहु और केतु, जो छाया ग्रह माने जाते हैं, आठवें भाव में अगर स्थित हों तो यह पुनर्जन्म से जुड़ी घटनाओं के बारे में संकेत देते हैं। जहां राहु अचानक से किसी को बनाता है तो वहीं राहु अचानक से गिरावट भी लाता है ये बातें राहु केतु के असर को दिखाती हैं, और इसके अलावा अनहोनी होने जैसी घटनाओं का संकेत देती हैं जैसे अकाल मृत्यु, गंभीर बीमारी या दिव्यांगता का प्रभाव झेलना पड़ सकता है। केतु आठवें भाव में स्थित होने पर पुनर्जन्म और नीरस अनुभवों से जुड़ा होता है। केतु सभी संबंधों को काटने और समाप्त करने के लिए जाना जाता है। ये दोनों पाप ग्रह आयु पर भी अपना असर डालते हैं।
अष्टम भाव और नकारात्मक प्रभाव Negative aspects of the 8th house: आठवां भाव पूर्व जन्मों के बारे में में संकेत देता है और ज्योतिषी इस भाव का उपयोग पिछले जीवन के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए करते हैं। इस भाव से हमारे पिछले जीवन के कर्म बंधन और ऋणों को देखा जा सकता हैं। नेगटीव कनेक्शनों द्वारा खराब तरीके से प्रभावित या पीड़ित आठवां भाव परेशानियों को बढ़ाने वाला होता है। इस भाव पर अन्य ग्रहों के पाप प्रभाव या कमजोर ग्रहों का प्रभाव व्यक्ति को अल्प आयु देने वाला हो सकता है। आठवें भाव के बारे में सूर्य, चंद्रमा और बुध जैसे ग्रहों की उपस्थिति शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर असर डालती है और दिक्कत को दिखाती है इसका असर विशेष रूप से लंबी आयु से संबंधित होता है।
बारहवां भाव: व्यय, अलगाव और मृत्यु The 12th House: Loss, Isolation, and Death
बारहवां भाव ज्योतिष अनुसार व्यय भाव कहलाता है जिसका अर्थ है कि इस भाव से हर तरह का व्यय देखा जाता है और इस कारण से इसे आयु का व्यय भी कहा जाता है को कुछ संदर्भों में मृत्यु के भाव के रूप में भी जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह भाव आपका जीवनकाल कितना होगा बता सकता है। बारहवें भाव द्वारा मिलने वाले विशेष प्रभाव हैं जिसमें मुख्य रूप से घाटे, हानि, मृत्यु, अलगाव और सबकॉन्शियस माइंड, सपने और जीवन के सभी अचेतन पहलुओं का प्रतिनिधित्व करता है। बारहवां भाव सीधे तौर पर जीवन की समय अवधि से नहीं जुड़ा है, लेकिन इसके नकारात्मक पहलुओं को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।
बारहवें भाव में पाप ग्रह Malefic planets in the 12th house: बारहवें भाव में पाप ग्रहों का होना बहुत गहरे असर डालने वाला होता है। इस भाव राहु, केतु या शनि जैसे ग्रहों का होना रहस्यात्मक घटनाओं को दिखाता है, जीवन के लिए खतरा पैदा करने वाले स्वास्थ्य मुद्दे, जीवन की चुनौतियों और मानसिक आघात का कारण बन सकता है। बारहवें भाव में राहु के होने से जीवन पर खतरा बढ़ सकता है, इसके कारण जीवन को मुश्किल में डालने वाली परिस्थितियां पैदा होती है जैसे चोट लगना, विनाशकारी दुर्घटना, प्रलयकारी झटके, प्राकृतिक आपदाएं इत्यादि घटनाएं हो सकती हैं जिसके कारण जीवन पर संकट खड़ा हो सकता है और आयु पर असर पड़ता है।
साइकोलॉजिकल प्रभाव Psychological impact: बारहवां भाव व्यक्ति की आंतरिक दुनिया, सबकॉन्शियस माइंड और मानसिक तेजी को कंट्रोल करता है। चिंता, अवसाद और किसी पुराने तनाव की निराशावादी भावनाओं के साथ मिलकर पाप ग्रहों का प्रभाव व्यक्ति को गंभीर तरीके से प्रभावित करता है, व्यक्ति मानसिक रूप से इसका शिकार हो सकता है जिसके परिणामस्वरूप सेहत पर कई तरह का असर पड़ सकता है व्यक्ति डायबिटीज जैसे रोग से प्रभावित हो सकता है, शारीरिक अभिव्यक्तियों के अन्य रूप में वह कमजोर हो सकता है और जीवन की इच्छा कम होने लगती है।
अकेला होना Physical seclusion: बारहवां भाव किसी के एकांत या अलगाव अकेलेपन से भी जुड़ा होता है। इसका संबंध विदेश में निवास, या अपने सामाजिक परिवेश से अलग होकर रहने को भी दिखाता है। अलग होने की स्थिति चाहे किसी भी कारण से हो लेकिन वह कुछ न कुछ नकारात्मक असर भी देती है। व्यक्ति अपने प्रिय जनों से अलग हो जाते हैं तो कष्टों का सामना करना पड़ता है। इस तरह का तनाव, स्वास्थ्य समस्याओं और मृत्यु तुल्य कष्ट को दिखाने वाला होता है। इस स्थिति में विशेष रूप से दशा या गोचर की कुछ विशेष अवधि के दौरान विदेश में स्थानांतरण या किसी विदेशी स्थान की यात्रा पर जाने का योग अपना असर डाल सकता है।
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पहला भाव : स्वयं का भाव Bhava 1: The House of Self
कुंडली का पहला भाव, लग्न कहलाता है जो शरीर, स्वास्थ्य, स्वभाव और ऊर्जा स्तर को दिखाता है। पहला भाव अगर कमजोर हो या इसका लग्न स्वामी कमजोर हो तो इसके कारण व्यक्ति के स्वास्थ्य और उसकी लंबी आयु पर बहुत गहरा प्रभाव डालता है।
प्रथम भाव की पीड़ित स्थिति- Afflicted condition of the 1st house — अगर लग्न का स्वामी कमजोर है, तो इसके कारण यह भविष्यवाणी की जाती है कि व्यक्ति कमजोर स्वास्थ्य वाला और आयु में कमी के कारण प्रभावित होगा। लग्न को कमजोर या पाप प्रभावित करने वाले ग्रह आयु को भी कमजोर करते हैं। शनि, राहु और केतु जैसे पापी ग्रह प्रथम भाव में होने पर सेहत और शरीर पर असर डालते हैं और इन के कारण पुरानी बीमारियाँ, दुर्घटनाएँ या बहुत कमजोर जीवन शक्ति मिलती है जिसके कारण जीवन काल सीमित हो सकता है।
शारीरिक ऊर्जा Physical energy — पहला भाव व्यक्ति की शारीरिक ऊर्जा या ताकत का भी स्थान होता है। अगर यह कमजोर है, तो व्यक्ति को पुरानी स्वास्थ्य समस्याओं, लंबी बीमारियों, चोट लगने के खतरों से बहुत अधिक प्रभावित हो सकता है। शनि या राहु जैसे ग्रह व्यक्ति की एनर्जी को धीमा कर देते हैं, धीमे शारीरिक विकास के कारण पुरानी बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है।
दशा और गोचर प्रभाव The Role of Dasha and Transits
ज्योतिष में दशा और गोचर का प्रभाव भी जीवन काल पर असर डालता है, इसके अलावा दशा गोचर का प्रभाव किसी के अस्तित्व के गुप्त रहस्यों को समझने में बहुत मदद करते हैं। कई बार, कुछ ग्रहों की चाल ऐसी घटनाओं, परिवर्तनों और स्वास्थ्य से संबंधित पहलुओं को जन्म दे सकती है जो लंबी आयु को प्रभावित कर सकती हैं।
शनि की साढ़े साती Saturn’s Sade Sati: शनि की साढ़े साती, जिसका अर्थ है साढ़े सात वर्ष का वो समय जब व्यक्ति अपने जीवन में कई तरह के प्रभाव झेलता है, शनि की साढ़ेसाती का असर किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य और सामान्य जीवन शैली के लिए एक बड़ा खतरा हो सकता है। जब शनि किसी व्यक्ति की चंद्र राशि को पार कर जाता तो यह व्यक्ति को झकझोर देता है क्योंकि इसमें स्वास्थ्य संबंधी परेशानी, संकट, दुर्घटनाएं या यहां तक कि मानसिक तनाव जैसी चुनौतियां भी झेलनी पड़ सकती हैं। ये समय भी बहुत अच्छा नहीं होता है और अगर इस दौरान उपचार का उपयोग नहीं किया जाता है तो व्यक्ति की आयु भी इससे प्रभावित होती है।
राहु-केतु गोचर Rahu-Ketu transit: राहु केतु का गोचर कई मामलों में, जीवन के विभिन्न पहलुओं में अपना गंभीर असर डालता है। जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं और जीवन को बदल देने वाली स्थितियों के दौरान राहु-केतु एक्सिस अपना असर डालता है। कुछ मामलों में, जब राहु या केतु गोचर करते हैं, आठवें और बारहवें भाव पर असर डालते हैं, तो बड़ी घटनाएं होती हैं जिनके कारण देहत खराब हो सकती है, दुर्घटनाओं या कर्मों karmic sanctions के प्रभाव से व्यक्ति की आयु को कमजोर बना सकती हैं।
उसी प्रकार जैसा कि पहले बताया गया है, प्रत्येक दशा में कुछ स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां मिल सकती हैं। उदाहरण के लिए राहु दशा या केतु दशा से व्यक्ति को स्वास्थ्य के खराब होने की स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। कुंडली अनुसार दशा अवधि का आकलन करते हुए प्रमुख भावों के साथ इसके योग की स्थिति पर भी विचार किया जाना जरूरी होता है ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि व्यक्ति के स्वास्थ्य या जीवन पर इसका क्या प्रभाव पड़ सकता है।
लंबी आयु के लिए ज्योतिषीय उपाय Astrological remedies to increase longevity
डॉ. विनय बजरंगी जी बताते हैं कि ज्योतिष अनुसार कुंडली में आयु को प्रभावित करने वाले और स्वास्थ्य को कमजोर करने वाले प्रमुख कारणों में से एक अशुभ ग्रहों का प्रभाव होता है। लेकिन इन परेशानियों से बचाव भी संभव है और आयु को बढ़ाने हेतु किए गए ज्योतिषीय उपाय बहुत ही कारगर सिद्ध होते हैं। सही समय पर किए गए उचित ज्योतिषीय उपायों के माध्यम से ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव से बचा जा सकता है। किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली को बेहतर बनाने और उसकी आयु बढ़ाने के लिए कुछ खास उपायों अथवा तरीकों का उपयोग किया जा सकता है:
प्रथम भाव और अष्टम भाव को प्रबल बनाना Enhancing the 1st and 8th House: जन्म कुंडली के अनुसार सेहत को बेहतर बनाने के लिए रत्न धारण किए जा सकते हैं। ज्योतिषीय परामर्श के बाद ही रत्नों को धारण करना उचित होता है। अनुकूल रत्न स्वास्थ्य और जीवन शक्ति को बढ़ा सकते हैं।
शनि संबंधित उपाय Saturn Remedies: भगवान शनि की आराधना करना काफी हद तक मददगार होता है, और ‘ऊँ शं शनैश्चराय नमः’ मंत्र का जाप करने से आपकी कुंडली में शनि का नकारात्मक प्रभाव कम हो सकता है।
राहु और केतु के उपाय Rahu and Ketu Remedies: राहु और केतु से संबंधित उपाय करना भी बहुत अनुकूल परिणाम देता है। केतु से संबंधित दान या राहु पूजा, करने से इन दोनों के नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सकता है, विशेष रूप से आठवें या बारहवें भाव में इसका प्रभाव होने पर अशुभ परिणामों को उपायों की मदद से दूर किया जा सकता है।
स्पिरिचुअल प्रैक्टिस Spiritual Practices : ज्योतिषीय उपायों में स्पिरिचुअल प्रैक्टिस जिसमें मेडिटेशन, प्रार्थना, रोज के कामों के साथ प्रकृति और दैवीय शक्तियों के प्रति समर्पण से ब्रह्मांड के साथ जुड़ने में मदद मिल सकती है। इसके परिणामस्वरूप बेहतर मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य प्राप्त होता है, जिससे जीवन प्रत्याशा बढ़ जाती है।
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निष्कर्ष Conclusion
आपकी जन्म कुंडली में पहला भाव, आठवां भाव और लग्न भाव जीवन काल या detailed life predictions जीवन में घटने वाली घटनाओं को दिखाता है। कोई भी विशिष्ट भाव मृत्यु से संबंधित नहीं है, लेकिन इन भावों में कुछ खास ग्रहों की स्थिति का होना और ग्रहों के दृष्टि प्रभाव से व्यक्ति का जीवन, स्वास्थ्य, शक्ति और अन्य बातें काफी अधिक प्रभावित होती हैं। इन सभी बातों को बेहतर तरीके से समझने के लिए आपको डॉ. विनय बजरंगी से परामर्श लेना चाहिए, जो आपकी जन्म कुंडली में ग्रहों की स्थिति को समझने में मदद करते हैं। इसके साथ ही साथ ज्योतिषीय उपायों को अपनाकर कोई भी व्यक्ति अपनी आयु पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों और जोखिमों को कम कर सकता है।
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