क्या आप कुंडली दोष के कारण गर्भधारण में देरी का सामना कर रहे हैं?
कई दंपत्तियों के लिए शादी के बाद सबसे बड़ी इच्छा होती है — एक प्यारी सी संतान की किलकारी। पर जब सालों गुजर जाते हैं, और लाख कोशिशों व मेडिकल इलाज के बाद भी गोद खाली रह जाती है, तब सवाल उठता है — आख़िर क्यों?
कभी इलाज के अनगिनत प्रयास, तो कभी उम्मीदों का टूटना… पर क्या आपने कभी अपनी कुंडली में छिपे संकेतों को पढ़ने की कोशिश की है?
क्या आपने कभी सोचा है कि आपकी कुंडली में ही वो छिपे कारण हो सकते हैं जो संतान प्राप्ति में बाधा बन रहे हैं?
जब विज्ञान मौन हो जाए, तब कुंडली बोलती है: संतान सुख के रहस्य ज्योतिष की दृष्टि से
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, आपकी जन्म कुंडली में कुछ ऐसे ग्रह योग और दोष हो सकते हैं जो गर्भधारण में रुकावटें उत्पन्न करते हैं। एक अनुभवी ज्योतिषी द्वारा की गई कुंडली की गहराई से जांच यह बता सकती है कि आप माता–पिता बनेंगे या नहीं, यदि हां तो कब, और यदि नहीं तो क्या उपाय किए जाएं ताकि यह सपना साकार हो सके।
अनुभव बताते हैं कि 95% से अधिक मामलों में गर्भधारण में देरी को कुंडली विश्लेषण और ज्योतिषीय उपायों से समझा और दूर किया जा सकता है। यह एक आश्चर्यजनक लेकिन सत्य तथ्य है कि जहाँ चिकित्सा विज्ञान कभी–कभी जवाब नहीं दे पाता, वहाँ ज्योतिष शास्त्र दिशा दिखा सकता है।
· कभी–कभी समस्या का समाधान किसी विशेष चिकित्सकीय हस्तक्षेप में होता है — जैसे IVF, IUI या किसी विशेष प्रकार की दवा।
· वहीं, कुछ मामलों में कुंडली यह भी दर्शाती है कि आपको किसी विशेष दिशा में जाकर कुछ समय वहां निवास करना चाहिए, जहाँ संतान प्राप्ति के योग प्रबल हो सकते हैं।
· कई बार कुंडली में ऐसे योग बनते हैं जो यह बताते हैं कि कोई विशेष डॉक्टर या विशेषज्ञ, जिनकी पहचान कुंडली में ग्रह–योगों से की जा सकती है, ही आपकी सहायता कर सकते हैं।
· इतना ही नहीं, आपकी कुंडली यह भी स्पष्ट कर सकती है कि आपके लिए कौन–सी चिकित्सा पद्धति अधिक प्रभावी होगी — जैसे आयुर्वेद, होम्योपैथी, एलोपैथी, तिब्बती चिकित्सा, या पारंपरिक देसी नुस्खे।
· एक अनुभवी ज्योतिषी आपकी कुंडली में मौजूद संकेतों के आधार पर यह बता सकते हैं कि जीवनशैली में कौन से छोटे–छोटे बदलाव आपके लिए संतान सुख प्राप्ति में शुभ और सहायक सिद्ध हो सकते हैं।
आइए, विस्तार से समझते हैं कि कैसे आपकी कुंडली गर्भधारण की राह में छिपे रहस्यों को उजागर कर सकती है और किन उपायों से आपको माँ–बाप बनने का सुख प्राप्त हो सकता है।
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संतान सुख में बाधा डालने वाले प्रमुख कुंडली दोष
- पितृ दोष — पूर्वजों की आत्मा की अशांति से जुड़ा दोष जो संतति में रुकावट लाता है।
- ग्रहण योग — सूर्य या चंद्रमा पर राहु–केतु की स्थिति, जो गर्भधारण में मनोवैज्ञानिक या शारीरिक प्रभाव डालती है।
- नाड़ी दोष — विवाह से पूर्व गुण मिलान में गंभीर दोष, जो संतान उत्पत्ति में बाधक हो सकता है।
- शापित योग — जब ग्रह शनि, राहु, केतु से पीड़ित हों और संतान भाव पर असर डालें।
- क्लेश योग — वैवाहिक जीवन में तनाव जो गर्भधारण को प्रभावित करता है।
- गर्भ बाधा योग — पंचम भाव (संतान भाव) पर पाप ग्रहों का असर।
कुंडली से कैसे जानें संतान सुख के योग?
1. पंचम भाव और पंचमेश की स्थिति से
कुंडली में पंचम भाव (पाँचवाँ घर) को संतान भाव कहा जाता है। यह भाव संतान, शिक्षा और रचनात्मकता से जुड़ा होता है।
- अगर पंचम भाव में शुभ ग्रह जैसे गुरु, चंद्रमा या शुक्र स्थित हों या उनकी शुभ दृष्टि हो, तो संतान सुख के योग मजबूत होते हैं।
- पंचम भाव के स्वामी (जिसे पंचमेश कहा जाता है) की स्थिति और दशा भी यह बताती है कि संतान कब और कैसे प्राप्त होगी।
- यदि पंचमेश दुर्बल हो, नीच राशि में हो या पाप ग्रहों से पीड़ित हो, तो संतान में बाधा आ सकती है।
2. गुरु, चंद्रमा और शुक्र की स्थिति व बल से
- गुरु (बृहस्पति) को बच्चों का कारक ग्रह माना जाता है।
- चंद्रमा मानसिक शांति और भावनात्मक संतुलन का प्रतीक है, जो गर्भधारण के लिए जरूरी होता है।
- शुक्र, विशेषकर महिलाओं की कुंडली में, प्रजनन शक्ति और स्त्री स्वास्थ्य का प्रतिनिधित्व करता है।
यदि ये ग्रह बलवान हों, शुभ भावों में हों और पाप ग्रहों से प्रभावित न हों, तो संतान प्राप्ति के योग अच्छे बनते हैं।
3. सप्तम भाव (विवाह) और नवम भाव (भाग्य) की स्थिति से
- सप्तम भाव वैवाहिक जीवन और दांपत्य संबंधों का भाव है। अगर इसमें अशांति या क्लेश योग हो, तो मानसिक तनाव गर्भधारण में बाधा डाल सकता है।
- नवम भाव भाग्य और पूर्व जन्म के कर्मों का प्रतीक होता है। यदि यह भाव मजबूत हो, तो व्यक्ति को सही समय पर संतान सुख प्राप्त होता है।
नवम भाव का शुभ होना यह दर्शाता है कि व्यक्ति को संतान रूपी फल पूर्व जन्म के पुण्यों के कारण मिलेगा।
4. अशुभ ग्रहों की दृष्टि या युति की जांच से
- यदि पंचम भाव या गुरु, चंद्रमा, शुक्र जैसे ग्रहों पर शनि, राहु या केतु जैसे अशुभ ग्रहों की दृष्टि या युति हो जाए, तो संतान सुख में देरी या बाधा आती है।
- इसे शापित योग या गर्भ बाधा दोष भी कहा जाता है।
- विशेषकर राहु और केतु का पंचम भाव में होना संतान से जुड़ी उलझनों और मानसिक चिंता को दर्शाता है।
ज्योतिषीय उपाय जो ला सकते हैं संतान सुख
- पितृ दोष निवारण पूजन — विशेषकर पितृ पक्ष या अमावस्या को।
- नवग्रह शांति यज्ञ — ग्रहों के दुष्प्रभाव को दूर करने हेतु।
- संतान गोपाल मंत्र जप- “ॐ श्रीं ह्रीं ग्लौं देवकीसुत गोविंद वासुदेव जगत्पते। देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः॥”
- संतान प्राप्ति हेतु व्रत एवं दान — विशेषकर सोमवती अमावस्या, वट सावित्री व्रत, या संतान सप्तमी व्रत।
- दिशा परिवर्तन — कुंडली से तय की गई शुभ दिशा में कुछ समय के लिए रहना।
- राशि अनुसार रत्न या यंत्र धारण — जैसे माणिक्य, मोती, ओपल आदि।
- शुद्ध जीवनशैली — जैसा कि ज्योतिषाचार्य सलाह दें, उसमें खान–पान, नींद, और मानसिक शुद्धता शामिल होती है।
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कब लें विशेषज्ञ की सलाह?
- जब मेडिकल रिपोर्ट सामान्य होने पर भी गर्भधारण न हो पा रहा हो।
- बार–बार गर्भपात की समस्या हो।
- दवाओं का असर नहीं दिख रहा हो।
- कोई दिशा विशेष या स्थान बदलने से स्वास्थ्य या मनोदशा में बदलाव महसूस हो रहा हो।
- जब परिवार में पूर्वजों से जुड़े सपने या संकेत बार–बार मिलते हों।
अंतिम विचार
“जब विज्ञान चुप हो जाता है, तब ज्योतिष बोलता है।“
कुंडली केवल भविष्य बताने का माध्यम नहीं है, बल्कि यह जीवन की गहराई में छिपी बाधाओं को पहचानने का भी साधन है। यदि आप भी संतान सुख के लिए प्रयासरत हैं, तो अपनी कुंडली को एक बार गहराई से जरूर जांचें — शायद उसी में आपके संतान सुख की चाबी छिपी हो।
किसी भी विशिष्ट मुद्दे के लिए, मेरे कार्यालय @ +91 9999113366 से संपर्क करें। भगवान आपको एक खुशहाल जीवन आनंद प्रदान करें।
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Source: https://kundlihindi.com/blog/pregnancy-me-dari-in-kundli-dosh/
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